**जब से मिला है लगा मेरी दुनिया है वो,
जाने कौन सी दुनिया की परवाह करने की दुहाई देता है वो...
**डर ये नहीं कि मेरे पास नहीं आयेगा वो,
अफ़सोस ये है कि छूट रहे हैं उससे बहुत हसीन पल..
**चाहे नहीं कदर आज मेरी बेइन्तहा मोहब्बत की,
पर एक दिन अपने मुकामों की गिनती करते
एक मुकाम ये भी गिनेगा वो
कि किसी ने चाहा भी था उसे बावरों की तरह..
**चाहे दुहाई देता है वो मुझे मेरी फ़ितरत बदलने की,
यकीनन इंतज़ार तो वो भी करता होगा मेरे पागलपन के अगले किस्से का..
**वक़्त ज़ाया जाता है उसका हमसे बात करने में,
क्या जाने वो अनजान,उससे गुफ़्तगू ही हमारा वक़्त-ए-इबादत है..
**क़ाबिल-ए-तारीफ़ था उसका बंदे से ख़ुदा बनाना मुझे,
मगर क्या हुसीन सफ़र था अरश से फर्श तक का भी...
**हमारा आशिकाना मिजाज़ है या उसकी कशिश-ए-नज़र
कि ख़बर-ए-अंजाम के बावजूद भी दिल काबू में नहीं..
**मालूम है कि मैं उसके क़ाबिल नहीं,
पर सुना है वो मोहब्बत की कदर करने वालों में से है...
Jassi Sangha
2010
जाने कौन सी दुनिया की परवाह करने की दुहाई देता है वो...
**डर ये नहीं कि मेरे पास नहीं आयेगा वो,
अफ़सोस ये है कि छूट रहे हैं उससे बहुत हसीन पल..
**चाहे नहीं कदर आज मेरी बेइन्तहा मोहब्बत की,
पर एक दिन अपने मुकामों की गिनती करते
एक मुकाम ये भी गिनेगा वो
कि किसी ने चाहा भी था उसे बावरों की तरह..
**चाहे दुहाई देता है वो मुझे मेरी फ़ितरत बदलने की,
यकीनन इंतज़ार तो वो भी करता होगा मेरे पागलपन के अगले किस्से का..
**वक़्त ज़ाया जाता है उसका हमसे बात करने में,
क्या जाने वो अनजान,उससे गुफ़्तगू ही हमारा वक़्त-ए-इबादत है..
**क़ाबिल-ए-तारीफ़ था उसका बंदे से ख़ुदा बनाना मुझे,
मगर क्या हुसीन सफ़र था अरश से फर्श तक का भी...
**हमारा आशिकाना मिजाज़ है या उसकी कशिश-ए-नज़र
कि ख़बर-ए-अंजाम के बावजूद भी दिल काबू में नहीं..
**मालूम है कि मैं उसके क़ाबिल नहीं,
पर सुना है वो मोहब्बत की कदर करने वालों में से है...
Jassi Sangha
2010
well done jassi .. i guess this couplet endorse ur words
ReplyDeleteਪਲਟ ਕੇ ਦੇਖਾ ਨਾ ਜਿਸ ਨੇ ਗਏ ਦਿਨੋਂ ਕੀ ਤਰਹ
ਵੋਹ ਸਕਸ਼ ਆਜ ਭੀ ਦਿਲ ਕੇ ਕਰੀਬ ਰਹਿਤਾ ਹੈ
shiv kang
thanks dear!!! :)
ReplyDeleteਮੈਂ ਇਹਨਾਂ ਇੱਕ ਇੱਕ ਅੱਖਰ ਨੂੰ ਹੰਢਾਇਆ ਤੇ ਬਹੁਤ ਕਰੀਬ ਤੋਂ ਜੀਵਿਆ ਵੀ ਐ..
ਬਹੁਤ ਸੋਹਣਾ ਲਿਖਿਆ ਜੀ .. .
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