Monday, 28 March 2016

नामकरण

वो इतना शरीफ़ और चुपचाप सा कि उसके होने पे भी उसके होने का एहसास नहीं होता। और दूसरी तरफ़ ये इतनी गहरी आवाज़ जैसी कि शोर पर भी हावी पड़ जाए ! शायद यही कारण था कि मिलने के कुछ दिन बाद ही ऐसे एक दूसरे में घुल मिल गए जैसे चुपचाप पड़े शरीफ़ जैसे खंडरों में गहरी आवाज़ कुछ देर के लिए समा जाती है और कुछ देर बाद Echo के रूप में असली आवाज़ से भी बेहतर और सुरीली आवाज़ उतपन्न होती है।
वो Echo इनका रिश्ता था , कोई नाम नहीं , कोई मिलावट नहीं , बस एक आवारा आवाज़ की आवारगी से पैदा हुआ सुरीला संगीत !
आवाज़ ने पेशकश की , मैं तुम्हें 'तारा' बुलाऊंगी , तुम मेरे 'Star' हो ! और आख़िरकार चुप रहने वाला तारा भी बोला ,"मगर मैं तुम्हारा नाम तुम्हारे अस्तित्व से उल्टा रखूंगा। तुम चंचल कली सी हो, किसी शरारती पक्षी जैसी हो , मगर मैं तुम्हें 'पिस्तौली' बुला सकता हूँ ?"
"बिलकुल, जो तेरा जी चाहे तारे !"
"नहीं ये ज़रा मर्दाना है। पिस्तौली नहीं , पिस्तौलन ! लो आज से तुम पिस्तौलन हुई !"
"जो हुकम मेरे आका !"
और लो इनका नामकरण हो गया !
कुछ नामकरण कितने हसीं होते हैं, जैसे पल भर में सिर्फ़ एक नई आवाज़ ही नहीं देते जिसे सुनकर हज़ारों लाखों की भीड़ में भी आप 'हाँ' में जवाब देकर आस पास देखेंगे और मात्र उस इंसान को खोजेंगे जिसने आपका नामकरण किया , बल्कि ये नया नाम आपके होने के मायने भी बदल देता है !
क्या आपको किसी ने या आपने किसी को 'तारा' या 'पिस्तौलन' जैसा नाम और एहसास दिया है ?
-Jassi Sangha
28March2016, 4.20AM

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